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लाल गुलाल गोपाल हमारी, आँखिन में मति डारौ रे।।
केसरि रँग पिचकारी अहो पिया,आनन तकि मति मारौ रे।।
खेलि बसंत सरिस मन अटक्यौ, अटपटे खेल निवारौ रे।।
नागर नायक भव सागर सों ”सूरदास“ निवारौ रे।।