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निर्दयी संग खेली होली, श्याम मोसां करौ न ठिठोली।।
अबीर गुलाल को रंग जुरौ नहीं, केसर कुमकुम रोरी।
काजर तेल मिलाय मलौ मुख, ताऊ पै भरि कैं कटोरी,
बिगरि गई सूरति मोरी।।
देखि कैं सूरति कौन कहैगो, मोहि व्रषभान किशोरी।
संग की सहेली सब देखि हँसैंगी, हिल मिल गाँव की गोरी,
ठिठोरी ऐसी निगोड़ी।।