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मन मेरे की आसा पूजी, आयौ मास फागुन कौ नीकौ।।
लाज सरम तजि सासु ननद की, दौरि गहृौ कर सों कर पी कौ।।
अब मेरौ कोई कहा करैगौ, यह तो अवसर है होरी कौ।।
मैं न भयी मूरति ब्रजपति की, देखत दुःख मिटैगो जी कौ।।