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अबकी होरी मैं खेलौंगी डटिकैं, जो श्याम आवेंगे ब्रज में पलटिकैं।।
जो श्याम मोसां बरजोरी करिहैं, गारी मैं देउँगी घुँघटा पलटिकै।।
एक कुमकुमा ऐसौ मैं मारूँ, जो बंसीवारे की आँखिन करकै।।
जो श्याम हमसों रूठि जायँगे, बिनतीं करौंगी मैं पैयाँ पकरि कै।।