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गोकुल कैसे जाउँ री दइया, बीच बसै बटमारौ कन्हैया।।
ता मग नाच नचावत आवत, मानत नाहीं न नन्द दुहैया।।
एक तें एक चतुर गुण आगर, मधुबन देखौ न कोउ जवैया।।
गावें ‘गुदर’ पिय कैसें कि निबहै, ब्रज गलियन में धूम मचैया।।