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होरी खेलन दै ।।
गलिन गल्यारिन धूम मचावै, हम पै सही न परै।।
ऐसों की होरी तेरे नगर में, फागुन को जस लै।।
जोई जोई कहैगी सोई सोई करिहों, इतनी अरज सुन लै।।
‘आनन्द‘ घन कों जाय भिजोऊँ, आजु यही प्रण है।।