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रँग न डारि जसुमति के लाल, मोरी रंगि गई चूनरि सारी रे।।
अँखियन अबीर कुमकुमा कंचुकि, क्यों खिलवार अनारी रे।।
जौ खेलौ कछु बदि बदि खेलौ, ग्वालिन सहित हँकारी रे।।
जौ जीतौ किंकरी तिहारी, नहि ‘किंकर’ बनवारी रे।।