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मेरौ अब कैसें निकसन होइ री गुइयाँ, होरी खेलत कन्हैया।।
ससुरें जाउँ तौ सासु लड़ति है, मइके जाउँ भौजैया।।
इत डर उत डर मोहि सखी री, बीच में नचत कन्हैया।।
सारी भिंजोई मेरी चुनरी भिंजोई, और भिंजोई पीरी पगरिया।।
नन्दलाला कों मैं का करि भिजोऊँ, ओढ़ि आयौ कारी कमरिया।।