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साँबलिया तू बेगि खबरि लीजो मोरी, मैं तौ शरणागत हरि तेरी।।
बाप कहै बेटी ब्याहूँ द्वारका, भैया कहै चँदेरी।
जो शिशुपाल मौर धरि ऐहै, जरि बरि है जाउ ढेरी।।
सिंह शिकार स्यार लियें जावै, चहुं दिसि असुरन घेरी।
जरासन्ध शिशुपाल हुऐ हैं, जायगी लाज हरि तेरी।।
रूकिमनी जी ने पाती भेजी, विप्र के हाथ सबेरी।
पाती बाँचि विलम्ब न करियो, लइयो सँदेसौ बहोरी।।
कुण्डलपुर में देवी अंबिका, पूजन जात सबेरी।
तहँ चलि अइयो कृष्ण कन्हैया, जनम-जनम की चेरी।।