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होरी खेलैं चतुर सुजान, आतमराम से।।
पंडित खेलें पोथी पत्रा, काजी कुतुब कुरान से।
जोगी खेलैं जोग जतन से, ज्ञानी खेलैं ज्ञान से।।
कामी खेलैं कामिनी के संग, दामी खेलैं दाम से।
पतिव्रता खेलैं निज पति संग, वेश्या खलक जहान से।।
अति प्रचंड वेग माया को, सब जग मारत बान से।
करोड़ों के बीच बचे कोई बिरला, कबिरा बचा निज ज्ञान से।।