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जामें आवागमन लागी डोरी, हमारें को खेलै ऐसी होरी।।
मन-मृदंग सुरति सारंगी, तन की बनाइ लै तंदूरी।।
राम-नाम के करि लै मँजीरा, कृष्ण नाम लागी डोरी।
इंग्ला-पिंगला बस करि राखौ, सुख मन ठाठ ठठो री।।
अनहद गुफा में बैठि कें कोऊ, निर्गुण ब्रह्म जपौ री।
पोथी पुराण भागवत गीता, चारहु बेद पढ़ौ री।।
चौंसठ तीरथ न्हाय कें कोऊ, पुष्कर में लट बोरी।
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, यह आवागमन बचौ री।।