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गोरी बाँके जुबनवा छिपायें जाति, मन रसिक छैल के लुभायें जाति।।
बाट चलत चपला सी चमकति, पतरी कमरि बल खायें जाति।।
भौंह नचाय गड़ाय कें नैना, मन्द मन्द मुसकायें जाति।।