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होरी खेलै श्री राधे-नवल री सजनी, तट जमुना जी के तीर।।
नवल दुलहिया मद की माती, ओढ़ै कुसुम रंग चीर।
भरि पिचकारी मारन लागी, लै लै जमुना को नीर।।
ग्वाल बाल सब सखन संग लियें, और लियें बलवीर।
‘परमानन्द’ अनोखौ खिलाड़ी, आखिर जाति अहीर।।