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होरी खेलें महादेव, जटा में विराजत गंग।
तेंतीस कोटि देवता आये, गरूड़ चढ़े गोविंद।।
हंस चढ़े ब्रह्माजी आये, नारदजी हैं संग।
बाजत ताल मृदंग झाँझ ढप, अरु बाजै औचंग।।
नारद मुनिजी बीन बजावें, गावें गीत गोविन्द।
केसरि रंग कनक पिचकारी, अतर अरगजा संग।।
शिवशंकर बाघम्बर भींजो, भस्म लपेटे अंग।