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रँग डारें मोहन हम पै भागौ जाय, कोऊ लीजो डगरिया घेरि री।।
चोया भी लइयो चँदन घिसि लइयो, कोऊ लइयो केसरि रँग घोरि री।।
वृन्दावन की कुंज गलिन में, कोऊ दीजो दुहइया फेरि री।।