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कौन खिलारिन खेलैगी होरी।।
चलौ सो जोरि बटोरि जमुन तट, केसरि कुमकुम घोरी।
हम आवत सँग लियें ग्वाल सब, हिलमिल फागु रचौ री,
जहाँ नहिं काहु की चोरी।।
नींकी कही सही सोई जदुपति, पर विनती इक मोरी।
जो हारै ‘किंकर’ सो ताकौ, यह तुम पैज करौ री,
ग्वालिनी कहति निहोरी।।