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आजु हों होरी हरिहिं खिलाऊँ।।
ब्रज की खोरि साँकरी घेरौं, गारी देउँ दिवाऊँ।
चोवा चन्दन और अरगजा, मूठि गुलाल उड़ाऊँ।।
अपने अपने घर सों निकसौ, अबीर झोरि भरि ल्याऊँ।।
‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरे मिलन कों, गारी गाइ रिझाऊँ।।