Search Your Song
चली चलि यों ही बकै दैया मारौ, होरी खेलै श्याम बंशी वारौ।।
मैं जमुना जल भरन जाति, भरि मूठ गुलाल की मारौ।
ता दिन सों दूखति मोरी अँखियाँ, नैक न जात निहारौ।।
फागुन के दिन चार सखी, मन में एक मंत्र विचारौ।
दैहौं बताय तबहिं घनश्यामहिं, होत सखिन सों न्यारौ।।