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जहाँ जाउँ तहाँ कृष्ण कन्हैया, लियें पिचकारी डोलै।।
पीछे पर्यौ हमारे ही छैला, हो हो हो होरी बोलै।।
बरजोरी अबीर गुलाल मलै मुख, रहि रहि घूँघट खोलै।।
‘परमानन्द’ अनौखौ ही छैला, चितइ लेत चित चोरै।।