
यह कुंभ है महाकुंभ है
यह शुद्ध आनंद और परमानंद है।
इसमें कोई पशुबलि नहीं,
कोई रक्तपात नहीं,
कोई वर्दी नहीं,
कोई हिंसा नहीं,
कोई राजनीति नहीं,
कोई धर्मांतरण नहीं,
कोई संप्रदाय नहीं,
कोई भेदभाव नहीं,
कोई व्यापार नहीं,
कोई व्यवसाय नहीं।
यह धर्म सनातन है।
अब इन आंकड़ों से दुनिया हैरान है।
60 करोड़ लोगों ने लगाई डुबकी,
4,000 हेक्टेयर में फैला शहर
1,50,000 टेंट
3,000 रसोई
1,45,000 शौचालय
यह दृश्यमान वस्तुओं का मामला नहीं
यह आकार या संख्या का मामला नहीं
हैरान हूँ देखकर
मानवता और ब्रह्मांड के बीच संबंधों के बारे में प्राचीन ज्ञान।
यहां हर अनुष्ठान ग्रहों, नक्षत्रों और
ब्रह्मांड की गतिशीलता से जुड़ा हुआ ,
जिसका प्रभाव पड़ता मानव जीवन पर ,
भौतिक और आध्यात्मिक ।
हम सिर्फ़ एक भौतिक शरीर नहीं
बल्कि एक शुद्ध चेतना हैं।
समझ जाते हैं कि हम सिर्फ़ एक आत्मा हैं
जो भौतिक अनुभव कर रही ,
तो हम हो जाते हैंअनंत ।
जब हिमालय के भिक्षु
और क्वांटम भौतिक विज्ञान करते एक साथ ज्ञान के सागर में स्नान
हिमालय के साधुओं की चेतना
अंतरिक्ष और समय की सीमाओं को कर सकती है पार
'मैं और ब्रह्मांड' के द्वंद्व को सकती है तोड़ ।
हिंदुत्व ही है प्रकृति और
हिंदू होना है प्राकृतिक सामंजस्य।
Feed from WhatsApp