एक कप चाय के बहाने जिंदगी

एक कप चाय के बहाने जिंदगी
डा अलका चौबे
मनोवैज्ञानिक सलाहकार

कुछ  दिन पूर्व मुझे ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में प्रवास का शुभ अवसर मिला ।विश्व के बहुत सुंदर शहरों में सिडनी अंकित है ।अगाध नीला सागर ,ओपेरा हाउस, सिडनी क्रिकेट ग्राउंड ,ओलंपिक पार्क ,वहां का वन्य जीवन ,प्रकृति, रहनसहन सभी अद्भुत है और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है। पर एक स्थल ने मुझे बहुत आकर्षित और आंदोलित कियावह था सिडनी के पूर्वी सबर्बमें वॉटसन वे में द गैप  यह एक ओशन क्लिफ है जो सिडनी शहर का प्रवेश द्वार भीहै                                                                               
                           

आज जब चारों ओर आत्महत्या के समाचारों से मीडिया भरा पड़ा है ,कभी कोई विद्यार्थी ,कभी बीमार ,कभी परित्यक्ता कभी अमीर, कभी मॉडल की आत्महत्या की खबरों से समाचार पत्र भरे पड़े रहते हैं वहां एक ऐसी शख्सियत भीथी जिन्होंने न जाने कितनों की जिंदगी बचाई और वह भी एक कप कॉफी या बियर के एक गिलास के साथ। ।                                                                                                          
 द गैप  वाट सन  से  में एक  ऐसी जगह है जो चट्टानों से घिरी है ऊंची कठोर चट्टान और बहुत गहरा सागर और पता नहीं कैसी उदासी, कुछ  मनहूसियत समेटे !!   कुछ अजीब सा मन हो जाता है वहां जाकर ।सिडनी में यह स्थल सुसाइड पॉइंट के नाम से जाना जाता है। अनगिनत आत्महत्या का गवाह है यह स्थल  । बेजार मजबूर उदास लोगों की मौत का स्थल है यह स्थान।  कुछ  बेचैनी  सी  लगती है यहां आकर।।।
 पर जैसे हर अंधेरे के पीछे एक सुनहरी किरण होती है वैसा ही एक नाम जुड़ा है यहां से   मिस्टर  डान रिची का जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के सर्वोच्च सम्मान सिटीजन ऑफ़ द ईयर 2010 से नवाजा गया ।।। अनगिनत पुरस्कारों में एक एंज औफ गैप भी है।।। बड़ी अजीब सी कथा है डॉन की,,, जिन्होंने आधिकारिक रूप से 160 और अनअधिकारी  450 जानें  बचाई। ।शुरुआत कुछ ऐसी थी एक दिन डॉन और उनकी पत्नी मोया गैप के नजदीक बने अपने घर में कॉफी पी रहे थे ।।अचानक उन्होंने देखा एक व्यक्ति गैप की ऊंची चट्टान पर खड़ा अथाह सागर में कूदने को तत्पर है ।डॉन और मोया किसी तरह दौड़ते हफ्ते उस ऊंचाई तक पहुंचे ,,वह युवक उन्हें देखकर थोड़ा रुक डोन ने ना  कोई रोकने की कोशिश की ना कुछ पूछा ,बस एक ही वाक्य कहा यंग मैन क्या आप मरने से  पहले वोमेरे साथ हीएक कप चाय पीना पसंद करेंगे? यह कैसा अचरज युवक रुक गया डॉन और मोया उसे नीचे बने अपने घर में ले आए और एक चाय पर बात शुरू हुई ।।डॉन ने ना कोई उपदेश दिया ,ना आलोचना, न सलाह मैं कुछ पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रहा था ,ना उसके भूत के बारे में जाने की कोशिश की ,न भविष्य की कोई बात की, ना समस्या ना, समाधान ,,,युवक थोड़ी देर बैठ रहा और लगातार बोलता रहा वह बिलख पड़ाडोन और मोया बस सुनते रहे बिना बीच में बोले ,,,तो आंसू भरी आंखों और भरे गले से युवक की व्यथा कथा सुनाकर युवक थोड़ा शांत हुआ फिर डॉन ने कहा बस इतनी सी बात पर तुम अपनी जिंदगी खत्म कर रहे थे।।। इस समस्या का हल तो तुम जैसा कोई निकाल ही सकता है।। युवक को लगा डौन ठीक कह रहे हैं और वह मुस्कुराता हुआ वापस चला गया ऐसी करीब साढे चार सौ जिंदगियां डॉन और मोया की शुक्रगुजार है। आत्महत्या से नई जिंदगी देने की पेशकश बस एक कप चाय कॉफी या एक गिलास बियर के बदले अचरज की बात है ।।पर यह एक चाय या कॉफी या बियर के साथ जो डॉन ने किया वह था उसे आत्महत्या के उन्मादी चरण से व्यक्ति को दूर ले जाने का प्रयास और एक सहानुभूति पूर्ण सच कह तो सिंपैथी नहीं एंपैथी से भरा एक श्रोता एक साथी जो बिना आलोचना और सलाह के आपकी बात सुन रहा है।।। समझ रहा है। एक दोस्त जो आपकी समस्या में साथ खड़े होकर सहारा दे रहा है ,,,,बिना कुछ कहे बस साथ है। मुझे कोई सुनता नहीं या मुझे कोई समझता नहीं की व्यथा से हाथ बढ़ाकर उसे दलदल से बाहर निकलने को तैयार डॉन और मोया ने उन जिंदगियों के साथ बस यही किया उनकी व्यथा सुनी और उसे उत्तेजक क्षण से उन्हें निकालने का प्रयास किया ।

डॉन ने अपने अनुभवों में लिखा है यह सच है मैं सबको नहीं बचा पाया पर यह भी सच है मैं ने बहुत लोगोको बचाया उसकी मुझे खुशी है।। मैंने एक साधारणदोस्त की तरह किसी की जिंदगी के उसके रफेज़ के बारे में सुना जिसने उसे जिंदगी के उसे मोड पर लाकर खड़ा कर दिया जहां उसे अंत करने के सिवा कुछ सूझ नहीं रहा था । मैने  बस इतना  ही। किया।।।। डौन ने यह सब करीब 50 वर्ष तक किया  उनके सहज और अमूल्य प्रयास के लिए 2006 में ऑस्ट्रेलिया के सर्वोच्च च्च सम्मान मेडल औफआर्डर ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया से सम्मानित किया गया 2010 में डौन और मोया को बिलहरा काउंसिल जो वाटसन बेऔर |दगैप की लोकल गवर्नमेंट गर्वनिंग अथॉरिटी थी ने सिटीजन ऑफ़ द ईयर से सम्मानित किया डॉन ने अपने अनुभव बताते हुए लिखामेरे पहुंचने से पूर्व ही कुछ लोग अपनी जिंदगी खत्म कर चुके होते थे पर मैंने इसे ईश्वर की मर्जी समझ कर स्वीकार किया मेरे इस प्रयास में कभी-कभी मुझे पुलिस की सहायता भी लेनी पड़ी !पर मैंने अपनी ओर से किसी की जिंदगी बचाने के लिए सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश की। 9 जून 1926 में जन्मे डॉन का 13 में 2012 में 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया ।देश-विदेश में बसे अनेक लोगों ने डॉन के जीवन काल में ही व्यक्तिगत और सार्वजनिक रूप से दोनों के प्रति उनको उसे आत्मघाती क्षण से बाहर निकालने और जिंदगी के लिए एक नई आशा देने के लिए आभार प्रकट किया ।  

बात कितनी छोटी सी लगती है!!! एक कप चाय या कॉफी बस,,,,, पर कभी-कभी कितनी महत्वपूर्ण अपने 35 वर्ष के मनोवैज्ञानिक सलाहकार के करियर में मैं ना जाने कितने ऐसे लोगों से मिली हूं जिनके मन में आत्महत्या का विचार आया या करने की कोशिश की ! माना जाता है कि अनगिनत लोगों को जिंदगी में आत्महत्या का विचार कभी ना कभी आता ही है, लगता है कोई तो हो जो हमें समझे हमारी सुने और हमारी मदद करने को खड़ा हो ।हर व्यक्ति को हर उम्र के युवा वृद्ध पुरुष स्त्री बच्चों बेरोजगार ,बिजनेसमैन , माडल  विद्यार्थी कलाकार, सफल ,असफल के अंदर एक दूसरा व्यक्ति भी है जिसकी अपनी भावनाएं ,समस्याएं हैं ,टूटे उलझे उलझे रिश्ते हैं आकांक्षा इच्छाएं विचार उद्वेगहै जिन्हें वह कभी-कभी पूरी दुनिया से छुपा कर रखता है। एक मुखौटा ओढ़े रहता है खुद के ऊपर खुद ही हैंडल विध केयर का बोर्ड लगाए हुए। एक मास्क लगाए हुए।। सच मानिए तो अधिकांश दोहरी जिंदगी ही जीते हैं ।विश्व के किसी सुदूर कोने में बैठा कोई अकेला उदास किसी सोशल मीडिया स्टेटस से कविता ,कहानी से ,कलाकृति से कुछ कह जाता है और उसकी भावनाएं थोड़ी सी झांक कर बाहर आ जाती है ,,,,बस आपसे इतनी ही गुजारिश है कि कोई बच्चा ,युवा ,बीमार ,व्रृद्ध असफल परेशान अगर आपसे कुछ शेयर कर रहा है तो बिना रोक-टोक के ,,बिना आलोचना या सुझाव के ,बस उसे सुन लीजिए ,,,न जाने कितनी आत्महत्या रुक जाएगी। न जाने कितने लोग डिप्रेशन का शिकार होने से बच जाएंगे ।सोशल मीडिया की आभासी दुनिया में अगर किसी के अनगिनत दोस्त हैं तो हो सकता है शायद वो बिल्कुल अकेला अनुभव कर रहा हो ,,बस एक दोस्त जैसा सुनने वाला चाहिए।। इसीलिए जापान में प्रोफेशनल श्रोताओं जिन्हें ओसान कहा जाता है की संख्या बढ़ रही है।

एक हाथ सहायता का ,दोस्ती का ,समझने का जरूर बढ़ाइये ,,चाहे एक कप चाय या कॉफी के बहाने ही सही। शुक्रिया डॉन और मोया उन अनगिनत लोगों को नई जिंदगी नई रोशनी देने के लिए !!!!!!काश डान और मोया जैसे और भी बहुत से लोग इस दुनिया में हो ।।।आमीन

Dr Alka Chaubey