प्रत्येक वयस्क को अपनी स्व-अर्जित संपत्ति के संबंध में एक वसीयत( विल) लिखना चाहिए। तब उस व्यक्ति के न रहने पर उसकी संपत्ति का वितरण उसकी वसीयत नामे में लिखी इच्छा के अनुसार किया जा सकता है।
यह ध्यान में रखना है कि विल की प्रासंगिकता केवल स्वरचित (सेल्फ एक्वायर्ड) जायदाद के संबंध में है। पैतिॄक (इन्हेरीटेड )प्रॉपर्टी के मामले में नहीं । उसके बारे में लॉ आफ इन्हेरिटेंस लागू होता है।
कुछ लोग वसीयतनामे का लिखना टालते रहते हैं। प्रायः यह सफाई दी जाती है कि हमारे पास संपत्ति है ही क्या? इसमें जल्दी क्या है? बाद में समय मिलने पर इसके बारे में सोचेंगे।
इस विषय में यह ध्यान रखना है कि जो भी संपत्ति है वह आपकी अपने प्रयास की और खून पसीने की कमाई है केवल आपको यह अधिकार है कि आपके न रहने पर उसका वितरण आपकी इच्छा अनुसार हो । यह वितरण तब ही संभव होगा जब आप उसको वसीयत नामी के रूप में छोड़कर जाएंगे। यह भी ध्यान रखना है कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है। अतः इसके लिखने में विलंब करना समझदारी न होगा।
यहां पर यह समझना भी आवश्यक है के वसीयत नामे को बनाना कोई मुश्किल कार्य नहीं है ।कुछ ध्यान में रखने की बातें हैं।
प्रथम, वसीयतनामा एक व्यक्ति की स्वेच्छा से, उसकी मर्जी के अनुसार, जब वह मानसिक रूप से स्पष्ट सोच और व्यक्त कर सकने के योग्य है तब ही बनाया जाना चाहिए। यह सुझाव इसलिए युक्तिसंगत है क्योंकि विल के बारे में वर्णित किसी संपत्ति के विषय में कोई विवाद होने की स्थिति में यह आपत्ति उठाई जा सकता है कि विल उस व्यक्ति ने अपनी मर्जी और स्वतंत्र रूप से नहीं लिखी थी और वह उस समय किसी दबाव, प्रभाव अथवा प्रलोभन के प्रभाव में था।
इसके विपरीत जब कोई व्यक्ति मानसिक रूप से परेशानी या बेचेन हैं या किसी ऐसी बीमारी से या दवाई के साइड अफेक्ट से भली-भति सोच सकने में अशक्त है, हो सकता है कि उस समय लिखी वसीयत को विश्वस्त न माना जाए। इसी प्रकार जब उसकी स्मरण शक्ति ठीक नहीं है या किसी कारण नर्वसनेस से ग्रसित है तब भी यह संभावना रहेगी।
आवश्यक है कि संपत्ति विषयक सब विवरण सही और स्पष्ट रूप में दर्शित होने चाहिए। उदाहरण के लिए मकान के बारे में उसकी लोकेशन, साइज, मंजिल, कमरों की संख्या तथा उसके चारों दिशाओं में क्या सड़क, दुकान, घर या अन्य घर आदि हैं यह भी लिखना चाहिए।
इसी प्रकार कार या दुपहिया वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर, मेक, मॉडल वर्णित होना चाहिए। बैंक अकाउंट अथवा लॉकर के बारे में
बैंक का नाम, ब्रांच का हवाला, अकाउंट नंबर, टाइप,लॉकर नंबर आदि स्पष्ट करना चाहिए। एक अन्य ध्यान में रखने वाली बात यह है कि व्यक्ति केवल उस संपत्ति के बारे में विल कर सकता है जो उसकी अपनी है। यदि संपत्ति दो व्यक्तियों के नाम में है या बैंक का खाता ज्वाइंट अकाउंट है तो केवल आप अपने हिस्से तक सीमित जायदाद की ही विल सकते हैं।
विल के विषय में यह स्पष्ट करना जरूरी है कि इसको लिखने का कोई फिक्स्ड तरीका नहीं है ।कोई भी व्यक्ति अपने शब्दों में अपने ढंग से लिख सकता है। लेकिन क्योंकि यह एक कानूनी दस्तावेज है और संपत्ति विषयक है इसलिए इसका ठीक से लिखना सुझावप्रद है।
विल सादे कागज पर लिखी जा सकती है। इसको इसको स्टैम्प पेपर पर लिखना जरूरी नहीं है।
विल का पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन )कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है। परंतु उसके रजिस्ट्रेशन से लाभ यह है कि तब उसकी विश्वसनीयता अधिक होती है और उसको सिद्ध करना आसान है।
कोई भी व्यक्ति अपना वसीयतनामा कभी भी लिख सकता है और उसमें इच्छानुसार किसी भी समय, कितनी बार तथा कुछ भी परिवर्तन कर सकता है। सदैव आखिरी विल को प्रामाणिक माना जाएगा।
कानूनन पति और पत्नी एक जॉइंट या संयुक्त विल लिख सकते हैं। लेकिन उसमें एक के न रहने पर यह कठिनाई होगी के जीवित रह जाने वाला पार्टनर फिर अपनी इच्छानुसार परिवर्तन नहीं कर सकता है। दूसरा यह भी ध्यान रखें कि आप केवल अपनी स्व अर्जित संपत्ति की विल कर सकते हैं। अतः पति और पत्नी को अपनी जायदाद की विल अलग-अलग लिखना उचित रहेगा।
विल के अंत में दो गवाहों के नाम पता लिखने के बाद उनके हस्ताक्षर होते हैं। यह केवल इस बात का द्योतक है के विल लिखने वाले ने अपने हस्ताक्षर उनके सामने किए थे उन गवाहों का विल में क्या लिखा है इसकी जानकारी होना आवश्यक नहीं है।
आपकी सहायता के लिए विल का एक नमूना प्रस्तुत है। आवश्यकतानुसार बदली करके इसका प्रयोग किया जा सकता है।
Major General Nilendra Kumar was the Judge Advocate General of Indian Army from Sep 2001 to Nov 2008 and was then Director of Amity Law School at Amity University, Noida from Aug 2009 to July 2016. He is the Founder Director of Lex Consilium Foundation.
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