निर्वरतिकरण का पशुओं पर प्रभाव
वर्तमान समय में जहां मनुष्य दूसरे गृह पर जीवन खोजने में सफल हो रहा है । वहीं दूसरी ओर वह इस गृह पर मनुष्यों को जीवनदान रूपी वृक्षों को काटकर स्वयं के लिए घर बना रहा है । कोई कहता है एक पेड़ काटो तो दो वृक्षों का रोपण करो । परन्तु अगर वर्तमान समय में इसका परिणाम देखा जाए तो वह कुछ नहीं है । वह यह भूल गया है कि वह अपने आवास का निर्माण तो कर रहा है परन्तु लाखों जीवों का घर उजाड़ रहा है।
यही मूल कारण है कि प्राणी वन को छोड़कर ग्राम एवम् शहरों में आ जाते हैं । अब यहां भी मनुष्य उस प्राणी का शिकार करने से पीछे नहीं हटते । वह यह विस्मारण कर देते हैं कि कोई भी जीव स्वयं की सुरक्षा को प्रथम स्थान देगा । इसी कारण जब वह जीव अपनी सुरक्षा हेतु दूसरे मनुष्य पर प्रहार करता है तब वह नरभक्षी बं जाता है । उस पर अनेकों अत्याचार होते हैं । मनुष्य क्रूरता , स्वार्थ के वशीभूत होकर मनुष्यता भूलता जा रहा है ।
वहीं अगर शाकाहारी जीवों की बात करी जाए तो उनका तो जीवन ही वन है । अगर मनुष्य वन को ही मिटा देगा तो लाखों जानवरों की जातियों का अंत हो जाएगा । स्वार्थी मनुष्य अपने सुख में इतना अंधा हो गया है कि वह इस ओर अपने कदम बढ़ा चुका है । वह उनके खाद्य पदार्थ उनसे छीन रहा है । वह अपने पैर पर स्वयं कुल्हाड़ी मार रहा है अर्थात वह अपना भोजन स्वयं नष्ट कर रहा है ।
इन्ही कारणों से आज अनेकों वन जीव पृथ्वी से लुप्त होते जा रहे हैं । स्तनपाई जीवों की 397 प्रजातियां , पक्षियों की 1232 , सरीसृप की 460, मछलियों की 2546 एवं कीट- पतंगों की 59,353 ही निवास करती हैं । चीता , बाघ , सुनहरे बालों के लिए विश्व में प्रसिद्ध एशियाई शेर , काली गर्दन वाला सारस , हिम तेंदुआ , लाल पंडा , सुनहरा लंगूर कुछ प्रजातियों में से हैं जो लुप्त हो रही हैं । अगर मनुष्य वनों की कटाई करता रहेगा तो एक समय आएगा जब उपर्युक्त लिखित जीवों के नाम इतिहास बन जाएंगे । तब हम केवल कल्पना कर सकेंगे इनके बारे में , उनका चित्र देखकर ही उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे । वह स्वयं अपनी आंखों से इन जीवों के दर्शन नहीं कर पाएंगे ।
अंत में गीता की यही सीख याद आती है - "कर्म किए जा , फल की चिंता मत कर ए इंसान "। अर्थात जब मनुष्य पर्यायवरण से प्रेम करेगा तभी तो पर्यायवारण उससे प्रेम करेगा। अन्यथा वह दिन भी दूर न होगा जब मनुष्य पृथ्वी पर न बचेंगे ।
- शिवांजली चतुर्वेदी
बी. ए 2
आयु - 20 वर्ष
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